ज्योतिष ग्रह विश्लेषण, कैसे ग्रह आपके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। व उनका निवारण
वैदिक ज्योतिष में ग्रह विश्लेषण
:
क्रोध:पराक्रम: भौमो बुधो बालत्वधीमत:।
शानिरदुःखपर्दो ज्ञेयः प्रपद: पार्श्वकष्तथा।। १
राहूरैसेयार्क विधिद योगेक्षणवसंमुने।
संक्षेपेनैतदुदीतन्मयद बुध्यनुसारत।। २
अर्थ-:
शुक्र ग्रह वीर्य का, चंद्रमा मन का, सूर्य आत्मा का, गुरु जीवन शक्ति का, मंगल क्रोध का पराक्रम का, बुद्ध चंचलता बल बुद्धि का, शनि दुखदायक नौकर व पड़ोसियों का कारक है. राहु ऐश्वर्यदायक है. भाव में ग्रहों के बलाबल, योग व दृष्टि आदि से उक्त विषयों का निर्णय होता है. इसे ही संक्षेप में ग्रहों का कारकत्व कहा जाता है.
विश्लेषण-:
जीवन में होने वाले सुख दुख बहुत हद तक उन्हीं पर निर्भर करते हैं .मान लो किसी का शुक्र ग्रह कमजोर है तो वह व्यक्ति कभी भी बलवान, वीर्यवान, बलिष्ठ नहीं बन सकता जब तक की किस ग्रह से संबंधित कोई उपाय न कर लिया जाए. ठीक इसी तरह है बुध के खराब होने के कारण जातक का मन और बुद्धि ऐसा चंचलता से भरा रहता है. राहु के कारण व्यक्ति सुपात्र होते हुए भी धन और ऐश्वर्य से वंचित रहता है. जब तक की संबंधित ग्रह की चाल को समझ कर उसका उचित समाधान न कर दिया जाए। जिनका ठीक-ठीक अध्ययन एक विज्ञान है. किसी भी ग्रह का ठीक से विश्लेषण करके जातक की कुंडली में उसका प्रभाव जानकर उचित समाधान बताया जा सकता है. अगर समय पर है जातक एक उपाय कर ले जीवन में आने वाली कठिनाइयों से 100% बचा जा सकता है.
कई बार आपने बहुत से लोगों के जीवन में देखा होगा की बड़ी गाड़ी या बड़े घर का योग बन रहा होता है लेकिन अचानक कुछ ऐसा होता है की काम होते होते वह जाता है. बड़े घर गाड़ी के स्थान पर छोटा घर या गाड़ी मिल पाता है. यह केवल कुपित ग्रह के कारण अड़चन पैदा हो रही है. और कई लोगों के जीवन में इसका उल्टा भी हो सकता है कि साधारण घर में पैदा हुआ बच्चा फिल्म स्टार बन जाता है या बड़ा क्रिकेटर बन जाता है. सब ग्रहों का खेल है. इसको समझाना बहुत आवश्यक है.
कुंडली विश्लेषण के लिए सम्पर्क करें
आचार्य दीपक शर्मा
9518016019 कॉल और व्हाट्सएप
या लिंक पर क्लिक कर ये फॉर्म भरें >>https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSexnwXBBysK7gVb_mwevAofG2aPBrTFx3DmyhLHcIVXCPm-6Q/viewform
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क्रोध:पराक्रम: भौमो बुधो बालत्वधीमत:।
शानिरदुःखपर्दो ज्ञेयः प्रपद: पार्श्वकष्तथा।। १
राहूरैसेयार्क विधिद योगेक्षणवसंमुने।
संक्षेपेनैतदुदीतन्मयद बुध्यनुसारत।। २
अर्थ-:
शुक्र ग्रह वीर्य का, चंद्रमा मन का, सूर्य आत्मा का, गुरु जीवन शक्ति का, मंगल क्रोध का पराक्रम का, बुद्ध चंचलता बल बुद्धि का, शनि दुखदायक नौकर व पड़ोसियों का कारक है. राहु ऐश्वर्यदायक है. भाव में ग्रहों के बलाबल, योग व दृष्टि आदि से उक्त विषयों का निर्णय होता है. इसे ही संक्षेप में ग्रहों का कारकत्व कहा जाता है.
विश्लेषण-:
जीवन में होने वाले सुख दुख बहुत हद तक उन्हीं पर निर्भर करते हैं .मान लो किसी का शुक्र ग्रह कमजोर है तो वह व्यक्ति कभी भी बलवान, वीर्यवान, बलिष्ठ नहीं बन सकता जब तक की किस ग्रह से संबंधित कोई उपाय न कर लिया जाए. ठीक इसी तरह है बुध के खराब होने के कारण जातक का मन और बुद्धि ऐसा चंचलता से भरा रहता है. राहु के कारण व्यक्ति सुपात्र होते हुए भी धन और ऐश्वर्य से वंचित रहता है. जब तक की संबंधित ग्रह की चाल को समझ कर उसका उचित समाधान न कर दिया जाए। जिनका ठीक-ठीक अध्ययन एक विज्ञान है. किसी भी ग्रह का ठीक से विश्लेषण करके जातक की कुंडली में उसका प्रभाव जानकर उचित समाधान बताया जा सकता है. अगर समय पर है जातक एक उपाय कर ले जीवन में आने वाली कठिनाइयों से 100% बचा जा सकता है.
कई बार आपने बहुत से लोगों के जीवन में देखा होगा की बड़ी गाड़ी या बड़े घर का योग बन रहा होता है लेकिन अचानक कुछ ऐसा होता है की काम होते होते वह जाता है. बड़े घर गाड़ी के स्थान पर छोटा घर या गाड़ी मिल पाता है. यह केवल कुपित ग्रह के कारण अड़चन पैदा हो रही है. और कई लोगों के जीवन में इसका उल्टा भी हो सकता है कि साधारण घर में पैदा हुआ बच्चा फिल्म स्टार बन जाता है या बड़ा क्रिकेटर बन जाता है. सब ग्रहों का खेल है. इसको समझाना बहुत आवश्यक है.
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आचार्य दीपक शर्मा
9518016019 कॉल और व्हाट्सएप
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